काफी समय पहले की बात है I राजापुर गांव में एक बुजुर्ग रहता था I वह अकेला ही था I परिवार के नाम पर उसके पास एक खच्चर था I जो काफी समय से उसके साथ रहता था I खच्चर भी अपने मालिक की तरह ही बूढ़ा हो चुका था और वह किसी काम नहीं आता था I
हालांकि बुजुर्ग धोबी अपने बूढ़े खच्चर को अपना साथी ही मानता था I लेकिन अब वह उसका भार उठा नहीं पा रहा था I एक दिन खच्चर अचानक गांव की एक गली में थोड़ा सा रास्ता भुला और एक सूखे हुए कम गहरे कुएं में जा गिरा I कुएं में गिरे खच्चर की आर्त पुकार सुनकर उसका मालिक वहां पहुंचा I उसने देखा कि खच्चर को कुएं से निकालना आसान नहीं है I तभी धोबी के मन में एक में ख्याल आया कि वैसे भी यह खच्चर अब किसी काम का तो रहा नहीं क्यों ना इसे यहीं दफना दिया जाए,
वह तुरंत गांव के कुछ लोगों को बुला लाया I उसने कुएं में मिट्टी के ढेले डालना शुरू कर दिए I अंदर कुएं में यह सब देखकर खच्चर को बहुत दुख हुआ I लगातार अपने ऊपर पढ़ रहे मिट्टी की ढेलों से खच्चर के हाथ पांव फूल गए I उसने मन में सोचा कि अब तो वह बचेगा नहीं लेकिन तभी उसने दिमाग लगाया और अपने आसपास इकट्ठा होते जा रहे मिट्टी के ढेलों पर चढ़कर ऊपर की ओर बढ़ने लगा I उसे इस दौरान काफी चोट भी लगी I
लेकिन वह अपनी पीठ पर गिरते ढेले नीचे गिरा कर और ऊपर निकलता गया I आखिरकार एक समय ऐसा आया जब वह कमरे से बाहर निकल कर अपनी जान बचाने में कामयाब रहा I उसे खुशी हुई कि किस तरह उसने खुद पर आए संकट को अपने फायदे में बदल लिया
सन्देश : जीवन में कई बार हमें कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है लेकिन हमें उन्हें सकारात्मक तरीके से लेना चाहिए I तभी हमें निश्चित सफलता हासिल होती हैं I
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