एक अनुभवी वृद्ध ने हमेशा नाखुश रहने वाले युवक से एक मुट्ठी नमक पानी में मिलाकर पी जाने को कहा ,जब युवक ने ऐसा कर लिया तो उन्होंने उससे पूछा ,’कैसा स्वाद लगा ?’। इस पर युवक ने अजीब सा मुंह बनाते हुए कहा, ‘बहुत बुरा।’ वृद्ध शख्स ने हल्की सी मुस्कान के साथ उसी युवक से अब एक मुट्ठी नमक झील के पानी में डालने को कहा ।
झील में जब वह युवक नमक मिला चुका तो वृद्ध ने कहा,’अब इसका पानी पी कर देखो ।’युवक के गले से जैसे ही पानी उतरा वह शख्स से पूछ बैठा,` इस बार इसका स्वाद कैसा था।’ युवक ने जवाब दिया -अच्छा । वृद्ध शख्स ने उससे पूछा कि क्या इस बार उसे पानी में नमक का एहसास हुआ ।
इस पर युवक ने इनकार ने सिर हिला दिया । युवक का जवाब सुनकर वृद्ध उसके सिर पर हाथ फिराते हुए बोले,`हमारे जीवन का दुख-दर्द नमक की तरह होता है । ना ज्यादा और ना कम । जीवन में इसकी मात्रा हमेशा बराबर रहती है,लेकिन हमें उसका जो एहसास होता है वह निर्भर करता है कि हम उसे किस तरह से आंक रहे होते हैं ।’
फंडा यह है कि जब आपको दुख दर्द महसूस हो तो गिलास वाली सोच से बाहर निकलकर जिंदगी को विस्तृत नजरिए से देखें,ठीक एक बड़ी झील की तरह । इससे दुख दर्द का एहसास कम हो जाएगा । अगर गिलास की तरह देखोगे तो एहसास और ज्यादा बड़ा हो जाएगा । हर किसी के जीवन में दुख दर्द की मात्रा एक बराबर रहती है बस महसूस करने का नजरिया उसकी मात्रा को कम या ज्यादा बना देता है
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