Thursday, January 25, 2018

बुद्धिमान राजा ने दूरदर्शिता से बचाए अपने प्राण

एक देश में एक अजीब सी प्रथा थी हर 10 वर्ष बाद नए राज्य का चुनाव होता था I
10 वर्ष पश्चात उस पुराने राजा को एक ऐसे निर्जन दीप में बलपूर्वक भेज दिया जाता था जहां भोजन पानी आदि का नितांत अभाव होता था आदमी वहां जाकर बिना पानी और भोजन के तड़प तड़प कर मर जाता था बरसों से जे प्रथा वहां चली आ रही थी जिसके कारण अनेक राजा इतनी पीड़ादायक मृत्यु के बागी बने यदि बीए 10 वर्ष पश्चात उस देश में ना जाने का आग्रह करते तो देशवासी अपशकुन के भय से उनकी बात नहीं मानते और उन्हें जबरदस्ती वहां भेज दिया जाता एक बार एक बुद्धिमान व्यक्ति राजा के रूप में चुना गया उसने दूरदर्शिता से काम लेते हुए विचार किया कि 10 वर्ष बाद उसे भी इसी प्रकार ना मरना पड़े इसके लिए क्यों ना आज से ही उस दीप का चौमुखी विकास किया जाए वहां पानी की व्यवस्था कर खेती करवाई जाए ताकि ना जलसंकट रहे और ना अन्न की कमी उसने तत्काल दीप में कुएं तालाब बाबड़ियाँ बनवाई और फिर खेती आरंभ करवा दी थोड़े ही समय में दीप हरा-भरा और आबाद दिखने लगा जब 10 वर्ष बाद उससे प्रथा अनुसार दीप पर जाना पड़ा तो उसे कोई समस्या नहीं हुई क्योंकि दीप अब पूर्ण विकसित रूप ले चुका था इस प्रकार उसकी जान बच गई और भविष्य के राजाओं के प्राण भी सुरक्षित हो गए




सार यह है कि दूरदर्शिता से बड़े से बड़ा संकट भी डर जाता है समस्या कैसी भी हो उसके विषय में सांगोपांग विचार कर ही निर्णय लेना चाहिए
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