जो डरता है, वह डरता ही रहता है
एक चूहा था । उसे बिल्ली से बड़ा डर लगता था । हालांकि यह स्वभाविक है कि चूहे को बिल्ली से डर
लगे,पर इस चूहे को कुछ ज्यादा ही डर लगता था ।
अपने सुरक्षित बिल में सोते हुए भी सपने में उसे बिल्ली नजर आती । हल्की सी आहट से उसे बिल्ली के आने का अंदेशा होने लगता । यहां तक की रात सोते हुए बिल्ली के ख्याल से उसकी नींद खुल जाती ।
नींद में भी वह बिल्ली के डर से त्रस्त रहता । सीधी सी बात यह है कि बिल्ली से भयभीत चूहा चौबीसों घंटे घुट घुट कर जीता था । ऐसे में 1 दिन एक बड़े जादूगर से उसकी मुलाकात हो गयी । फिर तो चूहे के भाग ही खुल गए । जादूगर को उस पर दया आ गई तो उसने उसे चूहे से बिल्ली बना दिया ।
बिल्ली बना चूहा उस समय तो बड़ा खुश हुआ,पर कुछ दिनों बाद फिर जादूगर के पास पहुंच गया,यह शिकायत लेकर कि कुत्ता उसे बहुत परेशान करता है । जादूगर ने उसे कुत्ता बना दिया । कुछ दिन तो ठीक रहा,फिर कुत्ते के रूप में भी उसे परेशानी शुरू हो गई । अब उसे शेर चीतों का बड़ा डर रहता ।उसे डर सताता रहता कि कहीं कोई शेर उस पर हमला ना कर दे इस दफा जादूगर ने सोचा कि पूरा इलाज कर दिया जाए, सो उसने कुत्ते का रूप पा चुके चूहे को शेर ही बना दिया ।
जादूगर ने सोचा कि शेर जंगल का राजा है,सबसे शक्तिशाली प्राणी है,इसलिए उसे किसी से डर नहीं लगेगा । लेकिन नहीं । शेर बनकर भी चूहा का ही रहा अब उसे किसी और जंगली जीव् से डरने की जरूरत नहीं थी,पर बेचारे को शिकारियों से बड़ा डर लगता । आखिर वह एक बार फिर जादूगर के पास पहुंच गया ।
लेकिन इस बार जादूगर ने उसे शिकारी नहीं बनाया । उसने उसे चूहा ही बना दिया । जादूगर ने कहा, ‘क्योंकि तेरा दिल ही चूहे का है, इसलिए तू हमेशा डरेगा ही ।’ सबक डर कहीं बाहर नहीं होता वह हमारे भीतर ही होता है स्वार्थ कि अधिकता और आत्मविश्वास की कमी से हम डरते हैं
अपने सुरक्षित बिल में सोते हुए भी सपने में उसे बिल्ली नजर आती । हल्की सी आहट से उसे बिल्ली के आने का अंदेशा होने लगता । यहां तक की रात सोते हुए बिल्ली के ख्याल से उसकी नींद खुल जाती ।
नींद में भी वह बिल्ली के डर से त्रस्त रहता । सीधी सी बात यह है कि बिल्ली से भयभीत चूहा चौबीसों घंटे घुट घुट कर जीता था । ऐसे में 1 दिन एक बड़े जादूगर से उसकी मुलाकात हो गयी । फिर तो चूहे के भाग ही खुल गए । जादूगर को उस पर दया आ गई तो उसने उसे चूहे से बिल्ली बना दिया ।
बिल्ली बना चूहा उस समय तो बड़ा खुश हुआ,पर कुछ दिनों बाद फिर जादूगर के पास पहुंच गया,यह शिकायत लेकर कि कुत्ता उसे बहुत परेशान करता है । जादूगर ने उसे कुत्ता बना दिया । कुछ दिन तो ठीक रहा,फिर कुत्ते के रूप में भी उसे परेशानी शुरू हो गई । अब उसे शेर चीतों का बड़ा डर रहता ।उसे डर सताता रहता कि कहीं कोई शेर उस पर हमला ना कर दे इस दफा जादूगर ने सोचा कि पूरा इलाज कर दिया जाए, सो उसने कुत्ते का रूप पा चुके चूहे को शेर ही बना दिया ।
जादूगर ने सोचा कि शेर जंगल का राजा है,सबसे शक्तिशाली प्राणी है,इसलिए उसे किसी से डर नहीं लगेगा । लेकिन नहीं । शेर बनकर भी चूहा का ही रहा अब उसे किसी और जंगली जीव् से डरने की जरूरत नहीं थी,पर बेचारे को शिकारियों से बड़ा डर लगता । आखिर वह एक बार फिर जादूगर के पास पहुंच गया ।
लेकिन इस बार जादूगर ने उसे शिकारी नहीं बनाया । उसने उसे चूहा ही बना दिया । जादूगर ने कहा, ‘क्योंकि तेरा दिल ही चूहे का है, इसलिए तू हमेशा डरेगा ही ।’ सबक डर कहीं बाहर नहीं होता वह हमारे भीतर ही होता है स्वार्थ कि अधिकता और आत्मविश्वास की कमी से हम डरते हैं
इसलिए अपने डर को जीतना है तो पहले खुद को जीतना पड़ेगा
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